जल बचे तो कल बचे : बूंद-बूंद सहेजकर बटोरी बड़ी खुशियां

प्रकृति की अद्भुत देन पानी छोड़ देने पर कहीं रुकता भले न हो लेकिन सहेजे जाने पर कई गुना बढ़ जाता है।

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