प्रदीप पांडेय उर्फ चिंटू ने अपनी सुपर हिट फिल्म ‘माई रे माई हमरा उहे लइकी चाही’ का गाना ‘पांडेय जी का बेटा हूं’ पर हुए विवाद पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह गाना किसी जाति विशेष को आहत करने के लिए नहीं था। यह फिल्म में एक कैरेक्टर है, जो हिराईन को छेड़ता है। उसमें ये गाना मेरे उपर था, न कि किसी जाति के ऊपर। मगर, जब यह गाना सुपर हिट हो गया, तब कुछ लोगों ने जानबूझ कर इसे जाति से जोड़कर विवादित बना दिया। इसमें जातिवाद जैसा कुछ नहीं है। मालूम हो कि चिंटू का यह पहला गाना था, जो उन्होंने खुद गाया था।
चिंटू ने कहा – मेरा खुद मानना है कि कलाकार का कोई जाति और धर्म नहीं होता है। अभिनय और मेरा किसी फिल्म में किरदार ही मेरी पूजा है। मेरी जाति है। मेरा धर्म है। इसलिए ‘पांडेय जी का बेटा हूं’ सिर्फ गाने में मेरे उपर थी। न कि किसी जाति विशेष वाली बात थी। उन्होंने कहा कि वैसे भी विवाद मेरे गाने से नहीं हुआ, बल्कि किसी ने जानबूझ कर जातिवादी मंशे से ‘पांडेय जी की बेटी’ बनाया। विवाद उससे हुआ। जो सरासर गलत था। किसी को भी किसी की जाति और धर्म पर उंगली उठाने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज कुछ भी होता है, तो इंडस्ट्री में कुछ लोग तुरंत जातिवाद पर आ जाते हैं। ऐसे लोग जाति को आगे कर सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं और अपने फैंस की आंखों में धूल झोंकते हैं। भोजपुरी इंडस्ट्री में ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। हमने कभी अपने सिनियर से इस तरह की चीजें कभी नहीं सुनी। इसलिए मुझे लगता है कि जाति के बदले अपने काम के बदौलत आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने अपने फैंस को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा विश्वास अपने काम में है। अगर अच्छा लगे तो प्यार दीजिए, नहीं लगे तो मत दीजिए। मगर जाति को आगे कर नफरत मत बांटिये।
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