केंद्रीय बजट 2020-21 सुनिश्चित को प्रतिबद्ध है महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए

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केंद्रीय बजट 2020-21 विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता है, जिसका स्वागत पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया करता है। महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु की सिफारिश करने के लिए एक टास्क फोर्स गठित करने का प्रस्ताव सकारात्मक कदम है। यह उनकी भागीदारी और अर्थव्यवस्था में योगदान सुनिश्चित करेगा, क्योंकि शादी की उम्र में और देरी से उन्हें शिक्षा पूरी करने और नौकरी और जीवन कौशल हासिल करने में सक्षम बनाएगा। इससे देश को जनसंख्या व्रुद्धि गति से निपटने और जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।

केंद्रीय बजट 2020-21 में स्वास्थ्य क्षेत्र [1] के लिए 69,000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन उम्मीदों से कम है, खासकर जब देश में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए एक बड़ी आवश्यकता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए इस साल आवंटित बजट है 65,012 करोड़,जो पिछले बजट की तुलना में मात्र 3।8% की वृद्धि है। यह मुद्रास्फीति की वर्तमान दर (आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार 7।3%) के हिसाब से अपर्याप्त है।

जब प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में निर्धारित प्राथमिक देखभाल के लिए कम से कम 60% संसाधन आवंटित करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटन 2018-19 में 57% से 2019-20 में 53% तक लगिर गई और इस बजट में 51% है। इस बजट में 2018-19 से एनएचएम के तहत प्रजनन और बाल स्वास्थ्य पूल के बजट को 17% पर रोक दिया है। यह परिवार नियोजन सहित मातृ, बच्चे और किशोर स्वास्थ्य पर बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत को प्रभावित कर सकता है। सरकार की युवा आबादी को सार्थक रूप से नियोजित करने की मंशा को देखते हुए, भारत के युवाओं (15-24 वर्ष) के स्वास्थ्य और कल्याण जरूरी है। ये देश की हमारी आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं।

जनसंख्या गति को कम करने (स्थिरीकरण) पर आजकल चर्चा जारी है। इसलिए आज परिवार नियोजन में अधिक से अधिक निवेश की आवश्यकता है। फिर भी, परिवार कल्याण योजनाओं के आवंटन में पिछले दो वर्षों से लगातार गिरावट आ रही है। 2018-19 में 770 करोड़ रु का आवंटन था जो 2019-20 में 700 करोड़ रु और मौजूदा बजट में 600 करोड़ रुपये है। यह परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है, जो जनसंख्या की गति को स्थिर करने के लक्ष्य को प्रभावित करेगा।

मेडिकल कॉलेज को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में मौजूदा जिला अस्पताल के साथ जोडने की पहल, जैसा कि इस बजट में परिकल्पित किया गया है, पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए । कि यह प्रभावी निगरानी तंत्र और स्पष्ट परिभाषा न होने की स्थिति में चिकित्सा शिक्षा के मानकों और देखभाल की गुणवत्ता से समझौता कर सकता है। साथ ही, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए सरकार सबसे अच्छी स्थिति में है।

बजट 2020-21 पर पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने कहा, “महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु की सिफारिश करने के लिए एक टास्क फोर्स गठित करने की घोषणा सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। शादी की बढी उम्र लड़कियों को उच्च शिक्षा तक पहुंचने और बेहतर नौकरी के अवसरों के लिए कौशल हासिल करने का अवसर पैदा करेगी।”

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया भारत कीएक अग्रणी नागरिक समाज संस्थाहै, जिसकी स्थापना 1970 में जेआरडी टाटा और डॉ भरत राम ने की थी। इसका मिशन महिला सशक्तीकरण के साथ ही महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को आगे बढ़ाना है ताकि महिला और पुरुष, विशेष रूप से किशोर और युवा, अपने स्वास्थ्य, भलाई और समृद्धि के लिए सूचित विकल्प लेने में सक्षम हो सके।



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