बिहार के कजरा, लखीसराय के रहने वाले सागर सिन्हा का नाम निर्देशन में अगर कोई जाना पहचाना नाम बन जाए, तो आपको आश्चर्य होगा। लेकिन आज सागर ने पूरी भोजपुरी सिने उद्योग में अपनी कलाओं का लोहा मनवाया है।
उनका कहना है कि प्रतिभा से इन क्षेत्रों में एक मुकाम बनाने की जद्दोजहद तो करनी पड़ती है, परंतु अगर कलाकार लगातार काम करता रहे और धैर्य रखे तो देर-सबेर उसे सफलता जरूर मिलेगी।
निर्देशक के रूप में खासकर भोजपुरी, अंगिका समेत तमाम क्षेत्रीय भाषा के लिए सागर सिन्हा कुछ बेहतर करना चाहते हैं। वैसे तो चोर नं 01, लाहौर एक्सप्रेस, ये कैसा इश्क़ है इनकी आने वाले फ़िल्में हैं। निर्देशक के तौर पर और भी कितने छोटे बड़े प्रोजेक्ट्स में काम कर अपने टैलेंट का लोहा मनवा चुके हैं।
इसी कड़ी में सागर सिन्हा द्वारा निर्देशित शोर्ट फ़िल्म स्वच्छता को बिहार सरकार के ओर से श्रेष्ठ फ़िल्म का अवार्ड भी प्राप्त है।
सागर के फिल्मी करियर की शुरुआत एडिटिंग और लेखन से शुरू हुई, जब वह इस क्षेत्र में निजी रूप से कार्यरत थें, इस कसौटी पर अपने को जांचा तो पाया कि अभिव्यक्ति उनकी तुलना में उससे बेहतर है। वहीं से स्टोरी, स्क्रिप्ट लिखने और फ़िल्म के निर्देशन का दौर आरंभ हुआ।
सागर अपने आगे के सफर के विषय में कहते हैं, “मेरा सपना बिहार के लिए कुछ करने और यहां के विषयों खासकर यहां की समस्याओं को लेकर फिल्म बनाने की है।”
उनका मानना है कि काम में समर्पण हो तो मंजिल मिल ही जाती है। अभी तो लंबा सफर है जीवन का पड़ाव बहुत कुछ सीख देता है।
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